आज सरदार पटेल लेकर तमाम तरह की बातें फैलाई जा रही हैं। धुर दक्षिणपंथ उन्हें अपना सरदार बनाने पर तुला है। दूसरी ओर, धुर वामपंथी उन्हें हिन्दू साम्प्रदायिक खाँचों में फिट करना चाहते हैं। सरदार को अगर नेहरू के बरक्स रखकर देखा जाए तो वे दक्षिणपंथी मालूम देते हैं। लेकिन वे हिन्दू- मुस्लिम एकता के सख्त हिमायती थे। उन्होंने भारत में रहने वाले मुसलमानों को यह यकीन दिलाने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी कि वो हिन्दुस्तान को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे। शरणार्थी शिविरों में पहुँच गए बनारस के बुनकरों को वापस लाने पर जिन्ना की बहन ने उन्हें खरी- खोटी सुनाई थी। पटेल का यह भाषण इस बात को सिद्ध करता है, कि संघ परिवार केलोग उन्हें अपने खेमे में खींच नहीं सकते।
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स्वाधीनता आंदोलन की दीर्घकालिक रणनीति
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