बड़वानी राजघाट को तोड़ने के विरुद्ध प्रार्थना-प्रदर्शन

मध्य प्रदेश स्थित गांधी स्मारक बड़वानी राजघाट को दिनांक २७ जुलाई २०१७ को आधी रात में प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर नेस्तनाबूद कर दिया. इस घटना के विरोध में राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट, खुदाई खिदमतगार और जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) सहित तमाम बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता ३० जुलाई को राजघाट के सामने समता स्थल पर एकत्र हुए. 

इस मौके पर प्रख्यात हिंदी आलोचक प्रो० पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि भले ही यह किसी सरकारी आदेश के तहत न किया गया हो लेकिन आज के माहौल में अधिकारियों को यह पता है कि गाँधीजी के साथ ऐसा सलूक किया जा सकता है. साथ ही उन्होनें इस बात की चेतावनी भी दी कि आशावादी होना एक चीज है और परिस्थितियों का अंदाजा न होना एकदम अलग चीज. उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास और रहीम की दोस्ती से जुदा एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि साम्प्रदायिक जहर इतनी बारीकी से लोगों के जेहन में भरा जा रहा है कि सोशल मीडिया पर यह कहानी तुलसी और रहीम की नहीं, तुलसी और हरिश्चंद्र की बताकर प्रचारित की जा रही है. 







NAPM के चर्चित नेता सुनीलम जो कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन से जुड़े हुए हैं ने बताया कि यह पूरा मामला पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए आम किसानों की जगह-जमीन को हड़पने से जुड़ा हुआ है. बडवानी के कई गाँव सरदार सरोवर परियोजना की वजह से डूबने की कगार पर हैं और सरकार लोगों को उनकी इच्छा के बगैर जबरन विस्थापित करने पर तुली हुयी है. उन्होनें कहा कि गांधी समारक से जुड़े कलश व अन्य चीजों को न सिर्फ जेसीबी से उजाड़ा गया बल्कि उन्हें कचरा ढ़ोने वाली गाडी से ले जाने की कोशिश भी की. 

खुदाई खिदमतगार के नेता फैसल खान ने कहा कई ये नाउम्मीद होने का समय नहीं है बल्कि हर घर की कुण्डी खटखटाकर लोगों को जगाने और जोड़ने का समय है. उन्होनें कहा कि यह सरकार इंडिया इंटरनेशनल सेंटर से नहीं डरती, राजघाट से डरती है. साथ ही यह सरकार एनजीओ और उनके समन्वय से नहीं डरती, खुदाई खिदमतगार और राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट जैसे संगठनों के एक साथ खड़े होने से डरती है. 

राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट के महासचिव सौरभ बाजपेयी ने कहा कि गाँधीजी खुद नहीं चाहते थे कि उनकी मूर्तियाँ और स्मारक बनाए जाएँ लेकिन उनके स्थापित स्मारक और मूर्तियों को तोड़े जाने की घटना कुछ खतरनाक संकेत देती है. साथ ही उनका कहना था कि आज़ाद भारत में यह पहली घटना है जब सरकार की देख-रेख में गाँधीजी से जुड़े किसी स्थल को नुकसान पहुंचाया गया है. उन्होंने आगे कहा कि यह सरकार नब्ज़ टटोल रही है क्योंकि दिल्ली स्थित राजघाट के पास की जमीन को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम साम्प्रदायिक आपत्तियाँ जाहिर की जाती रही हैं.  

राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट के नेता सनी धीमान ने इसी क्रम में कहा कि व्यक्तिगत तौर पर गांधीवादी ने होने के बावजूद हम सब मानते हैं कि गांधी इस देश की आत्मा हैं और गांधी पर हुआ कोई भी हमला दरअसल भारत की आत्मा पर हमला है. सभा को संबोधित करने वाले लोगों में खुदाई खिदमतगार के इनामुल हसन, सुशील खन्ना, राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट के अब्दुल अजीम आज़मी, सामाजिक कार्यकर्ता शकुन्तला बहन, महिला हेल्पलाइन की पूर्व डायरेक्टर खदीजा फारूखी आदि ने भी संबोधित किया.

साथ ही प्रख्यात कवियित्री सुमन केशरीजी और गाँधीवादी विचारक और नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के पूर्व फेलो आलोक बाजपेयी, सामाजिक कार्यकर्ता इंदरजीत सिंह जी सहित अंजुम आमिर खान , इनामुल हसन, फैजान आरिश, रिजवान अहमद आदि खुदाई खिदमतगार मौजूद रहे. राष्ट्रीय आन्दोलन फ्रंट की तरफ से अध्यक्ष ऋचा राज, उपाध्यक्ष अटल तिवारी, महासचिव सौरभ बाजपेयी और संगठन मंत्री सोनू राजेश सहित सांस्कृतिक विंग से प्रीतू बाजपेयी और राहुल पांडे, कोषाध्यक्ष कल्पना सिंह, फ्रंट से जुड़े छात्र नेता सनी धीमान और प्राजल्या प्रसाद, सिद्धांत राज, शशि पांडे और अब्दुल अजीम आदि भी इस विरोध प्रार्थना में मौजूद थे. 

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