त्रिलोकपुरी में हाल में हुए दंगों के बीच लैला शाह एक दीवार की तरह खड़ी हो गयीं। उन्होंने अपनी किन्नर मण्डली के साथ तुरन्त दंगाग्रस्त इलाकों की सफाई शुरू कर दी। उन्हें देखकर हर धर्म के लोगों को हिम्मत मिली और लोग उनका साथ देने को निकल पड़े। वो अपने लोगों के बीच दादी के नाम से मशहूर हैं। रवीश कुमार ने उनसे पूछा की उन्हें ऐसा करने की ताकत कहाँ से मिली। आठवीं पास दादी ने दोटूक जवाब दिया कि उन्होंने बचपन में बापू का किरदार निभाया है। गाँधी 1948 में शहीद नहीं हुए थे। उनका नाम तो अब भी सांप्रदायिक हिंसा के सामने सीना तानकर खड़ा है। देखिये एनडीटीवी की यह रिपोर्ट:
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स्वाधीनता आंदोलन की दीर्घकालिक रणनीति
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